बी ए - एम ए >> एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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एम ए सेमेस्टर-1 हिन्दी तृतीय प्रश्नपत्र - प्राचीन एवं मध्यकालीन काव्य
प्रश्न- तुलसी के लोक नायकत्व पर प्रकाश डालिए।
अथवा
"तुलसीदास का काव्य आज भी प्रासंगिक है।' उक्ति का विश्लेषण कीजिए।
अथवा
आज के संदर्भ में रामचरितमानस की उपयोगिता पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
अथवा
'रामचरितमानस' की प्रासंगिकता पर एक लेख लिखिए।
उत्तर -
(1) प्रस्तावना - हिन्दू धर्म के अवतार के रूप में तुलसीदास जी ने मानव जाति को पतन से बचाया है। यह बात देखकर 'गीता' के इस श्लोक की ओर ध्यान आकृष्ट होता है -
"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारतः।
अभ्युत्थानम् धर्मस्य तदात्माने सृजाम्यहम्॥
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम।
धर्मसंस्थापनार्धाय, सम्भवामि युगे युगे।'
अर्थात् जब-जब धर्म की हानि होती है, तब-तब धर्म के अभ्युत्थान के लिए साधुओं के परित्राण के लिए तथा दुष्टात्माओं के विनाश के लिए मैं अवतार लिया करता हूँ। भारत-भूमि कर्म भूमि हैं। जब-जब इस पर अत्याचार और अनाचार हुआ, तब समयानुकूल किसी न किसी सन्त एवं महात्मा का यहाँ अवतार होता रहा है।
लोक नायकत्व क्या है? उपर्युक्त विवेचन के आधार पर हम कह सकते हैं कि तुलसी ने भारतीय जीवन की सुरक्षा की। कहने का आशय यह है कि उन्होंने ही अपने समय के लोकजीवन को नवीन दिशा तथा नवीन क्रांति प्रदान की। इसलिए तुलसी को वास्तविक रूप से लोकनायक माना जा सकता है।
समकालीन परिस्थितियाँ - महात्मा बुद्ध की ही भाँति तुलसी का जन्म बड़ी विषम परिस्थितियों में हुआ था। आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी के अनुसार जिस समय इनका (तुलसीदास) का जन्म हुआ था, उस समय के समाज के ऊँचा आदर्श नहीं था। समाज के उच्च स्तर के लोग विलासिता के पंक में उसी प्रकार मग्न थे, जिस प्रकार उन्हें कुछ वर्ष पूर्व सूरदास ने देखा था निचले स्तर के पुरुष और स्त्री दरिद्र आशिक्षित और रोग ग्रस्त थे। वैरागी हो जाना मामूली बात थी।
समाज में धन की मर्यादा बढ़ रही थी। दरिद्रता हीनता का लक्षण समझी जाती थी। पण्डितों और ज्ञानियों का समाज के साथ कोई भी सम्पर्क नहीं था। सारा देश विशृंखल परस्पर विच्छिक, आदर्शहीन और बिना लक्ष्य का हो रहा था। ऐसा समाज में एक ऐसी आत्मा की आवश्यकता थी जो इस परस्पर विभ्रष्ट टुकड़ों में योग सूत्र स्थापित करें। तुलसी का आर्विभाव ऐसे की समय में हुआ था।
तुलसी का लोकनायकत्व और समन्वयवाद - एक विद्वान ने लिखा है कि, "अकबर जिस काल में महान शासक था, तुलसी उसी काल के मबान लोकनायक थे। तुलसी ने पहली बार समाज मनोविज्ञान को भली-भाँति पहचान कर अपने युग के समस्त विरोधी तत्वों का परिहार एवं समाज को मूर्त रूप दिया और सच्चे लोक-धर्म की स्थापना की।
डॉ. गोविन्द त्रिगुणायत के कथानुसार "तुलसी युग के प्रवर्तक कवि और दृष्टा थे। वे अपने युग के वरणेय बरदान थे। युग चेतना अनेक प्रकार से अपनी याचना अधीरता से कर रही थीं। मानवता उनके हाथों अनेक रूप पाने के लिए लालायित थी। दार्शनिकता उनका आलिंगन पाने के लिए उत्सुक थी। कला उनकी स्वर लहरी गुंजरित करने के लिए विकृत हो रही थी। भाषा उनकी वाणी पाकर मुखर होने के लिए बेचैन थी। संस्कृति उनके व्यक्तित्व से सुहाग पाने से लिए सजग थी। धार्मिकता अधीरता से उनके अवतार की बाट जोह रही थी। ऐसे ही प्रतीक्षित समय में तुलसी का जन्म हुआ। वे निश्चय ही अपने समय की विचारधारा और तयुगीन वातावरण के स्वरूप- सुहाग का साकार स्वरूप थे।'
तुलसी जैसा बहु-व्यक्तित्व सम्पन्न पुरुष मध्य युग में कदाचित ही कोई मिलेगा। तुलसी ने अपने गहन चिन्तन और व्यक्तित्व के अनुरूप समन्वय किया। तुलसी ने अपने गहन चिन्तन और व्यक्तित्व के अनुरूप समन्वय किया। तुलसी ने सभी क्षेत्रों को अपनाया और इन सभी क्षेत्रों में समन्वय स्थापित करके सामाजिक विषमता को दूर किया। सत्य तो यह है कि भक्त, दार्शनिक, पण्डित, कवि, नीतिज्ञ, समाज- सुधारक और विचारक के रूप में तुलसी का महान व्यक्तिव सम्पूर्ण 16वीं शताब्दी पर छाया हुआ है।
डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी ने तो तुलसी को लोकनायक घोषित किया है। लोकनायकत्व और समन्वयवाद एक-दूसरे के पूरक अंग हैं। एक के बिना दूसरा अधूरा है और दूसरे के बिना पहला अधूरा है। प्रो0 फूलचन्द जैन सारंग के अनुसार- "तुलसीदास जी समन्वयवादी होने के साथ-साथ मर्यादावादी भी थे। तुलसी के लिए लोक मर्यादा का उल्लंघन असह्य था। उनके अनुसार मर्यादा के बिना सामाजिक कल्याण आकाश- कुसुम के समान है। परन्तु अपने इस मर्यादावाद से तुलसीवाद तो जन-कल्याण के निमित्त था। इसलिए तुलसीदास का काव्य आज भी प्रासंगिक है।"
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- प्रश्न- विद्यापति का जीवन-परिचय देते हुए उनकी रचनाओं पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- गीतिकाव्य के प्रमुख तत्वों के आधार पर विद्यापति के गीतों का मूल्यांकन कीजिए।
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- प्रश्न- "विद्यापति भक्त कवि हैं या श्रृंगारी" इस सम्बन्ध में प्रस्तुत विविध विचारों का परीक्षण करते हुए अपने पक्ष में मत प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- विद्यापति भक्त थे या शृंगारिक कवि थे?
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- प्रश्न- विद्यापति को कवि के रूप में कौन-कौन सी उपाधि प्राप्त थी?
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- प्रश्न- सिद्ध कीजिए कि विद्यापति उच्चकोटि के भक्त कवि थे?
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- प्रश्न- काव्य रूप की दृष्टि से विद्यापति की रचनाओं का मूल्यांकन कीजिए।
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- प्रश्न- विद्यापति की काव्यभाषा का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (विद्यापति)
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (विद्यापति)
- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो की प्रामाणिकता एवं अनुप्रामाणिकता पर तर्कसंगत विचार प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- 'पृथ्वीराज रासो' के काव्य सौन्दर्य का सोदाहरण परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- 'कयमास वध' नामक समय का परिचय एवं कथावस्तु स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- कयमास वध का मुख्य प्रतिपाद्य क्या है? अथवा कयमास वध का उद्देश्य प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कयमास वध का मुख्य प्रतिपाद्य क्या है? अथवा कयमास वध का उद्देश्य प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- चंदबरदायी का जीवन परिचय लिखिए।
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- प्रश्न- पृथ्वीराज रासो का 'समय' अथवा सर्ग अनुसार विवरण प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- 'पृथ्वीराज रासो की रस योजना का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- 'कयमास वध' के आधार पर पृथ्वीराज की मनोदशा का वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- 'कयमास वध' में किन वर्णनों के द्वारा कवि का दैव विश्वास प्रकट होता है?
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- प्रश्न- कैमास करनाटी प्रसंग का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (चन्दबरदायी)
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- प्रश्न- जीवन वृत्तान्त के सन्दर्भ में कबीर का व्यक्तित्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- जीवन वृत्तान्त के सन्दर्भ में कबीर का व्यक्तित्व स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर एक संघर्षशील कवि हैं। स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- कबीर एक संघर्षशील कवि हैं। स्पष्ट कीजिए?
- प्रश्न- "समाज का पाखण्डपूर्ण रूढ़ियों का विरोध करते हुए कबीर के मीमांसा दर्शन के कर्मकाण्ड की प्रासंगिकता पर प्रहार किया है। इस कथन पर अपनी विवेचनापूर्ण विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- "समाज का पाखण्डपूर्ण रूढ़ियों का विरोध करते हुए कबीर के मीमांसा दर्शन के कर्मकाण्ड की प्रासंगिकता पर प्रहार किया है। इस कथन पर अपनी विवेचनापूर्ण विचार प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कबीर एक विद्रोही कवि हैं, क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर एक विद्रोही कवि हैं, क्यों? स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की दार्शनिक विचारधारा पर एक तथ्यात्मक आलेख प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की दार्शनिक विचारधारा पर एक तथ्यात्मक आलेख प्रस्तुत कीजिए।
- प्रश्न- कबीर वाणी के डिक्टेटर हैं। इस कथन के आलोक में कबीर की काव्यभाषा का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कबीर वाणी के डिक्टेटर हैं। इस कथन के आलोक में कबीर की काव्यभाषा का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में माया सम्बन्धी विचार का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- कबीर के काव्य में माया सम्बन्धी विचार का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
- प्रश्न- "समाज की प्रत्येक बुराई का विरोध कबीर के काव्य में प्राप्त होता है।' विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- "कबीर ने निर्गुण ब्रह्म की भक्ति पर बल दिया था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "कबीर ने निर्गुण ब्रह्म की भक्ति पर बल दिया था।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर की उलटबासियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कबीर की उलटबासियों पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- कबीर के धार्मिक विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- कबीर के धार्मिक विचारों को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कबीर)
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (कबीर)
- प्रश्न- हिन्दी प्रेमाख्यान काव्य-परम्परा में सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी का स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- हिन्दी प्रेमाख्यान काव्य-परम्परा में सूफी कवि मलिक मुहम्मद जायसी का स्थान निर्धारित कीजिए।
- प्रश्न- "वस्तु वर्णन की दृष्टि से मलिक मुहम्मद जायसी का पद्मावत एक श्रेष्ठ काव्य है।' उक्त कथन का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- "वस्तु वर्णन की दृष्टि से मलिक मुहम्मद जायसी का पद्मावत एक श्रेष्ठ काव्य है।' उक्त कथन का विवेचन कीजिए।
- प्रश्न- महाकाव्य के लक्षणों के आधार पर सिद्ध कीजिए कि 'पद्मावत' एक महाकाव्य है।
- प्रश्न- महाकाव्य के लक्षणों के आधार पर सिद्ध कीजिए कि 'पद्मावत' एक महाकाव्य है।
- प्रश्न- "नागमती का विरह-वर्णन हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है।' इस कथन की तर्कसम्मत परीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- "नागमती का विरह-वर्णन हिन्दी साहित्य की अमूल्य निधि है।' इस कथन की तर्कसम्मत परीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'पद्मावत' एक प्रबन्ध काव्य है।' सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- 'पद्मावत' एक प्रबन्ध काव्य है।' सिद्ध कीजिए।
- प्रश्न- पद्मावत में वर्णित संयोग श्रृंगार का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- पद्मावत में वर्णित संयोग श्रृंगार का परिचय दीजिए।
- प्रश्न- "जायसी ने अपने काव्य में प्रेम और विरह का व्यापक रूप में आध्यात्मिक वर्णन किया है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- "जायसी ने अपने काव्य में प्रेम और विरह का व्यापक रूप में आध्यात्मिक वर्णन किया है।' स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'पद्मावत' में भारतीय और पारसीक प्रेम-पद्धतियों का सुन्दर समन्वय हुआ है।' टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- 'पद्मावत' में भारतीय और पारसीक प्रेम-पद्धतियों का सुन्दर समन्वय हुआ है।' टिप्पणी लिखिए।
- प्रश्न- पद्मावत की रचना का महत् उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- पद्मावत की रचना का महत् उद्देश्य क्या है?
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद को समझाइए।
- प्रश्न- जायसी के रहस्यवाद को समझाइए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जायसी)
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (जायसी)
- प्रश्न- 'सूरदास को शृंगार रस का सम्राट कहा जाता है।" कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- 'सूरदास को शृंगार रस का सम्राट कहा जाता है।" कथन का विश्लेषण कीजिए।
- प्रश्न- सूरदास जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- सूरदास जी का जीवन परिचय देते हुए उनकी प्रमुख रचनाओं का उल्लेख कीजिए?
- प्रश्न- 'भ्रमरगीत' में ज्ञान और योग का खंडन और भक्ति मार्ग का मंडन किया गया है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- 'भ्रमरगीत' में ज्ञान और योग का खंडन और भक्ति मार्ग का मंडन किया गया है।' इस कथन की मीमांसा कीजिए।
- प्रश्न- "श्रृंगार रस का ऐसा उपालभ्य काव्य दूसरा नहीं है।' इस कथन के परिप्रेक्ष्य में सूरदास के भ्रमरगीत का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- "श्रृंगार रस का ऐसा उपालभ्य काव्य दूसरा नहीं है।' इस कथन के परिप्रेक्ष्य में सूरदास के भ्रमरगीत का परीक्षण कीजिए।
- प्रश्न- "सूर में जितनी सहृदयता और भावुकता है, उतनी ही चतुरता और वाग्विदग्धता भी है।' भ्रमरगीत के आधार पर इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- "सूर में जितनी सहृदयता और भावुकता है, उतनी ही चतुरता और वाग्विदग्धता भी है।' भ्रमरगीत के आधार पर इस कथन को प्रमाणित कीजिए।
- प्रश्न- सूर की मधुरा भक्ति पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- सूर की मधुरा भक्ति पर अपने विचार प्रकट कीजिए।
- प्रश्न- सूर के संयोग वर्णन का मूल्यांकन कीजिए।
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- प्रश्न- सूरदास ने अपने काव्य में गोपियों का विरह वर्णन किस प्रकार किया है?
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- प्रश्न- सूरदास द्वारा प्रयुक्त भाषा का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
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- प्रश्न- सूर की गोपियाँ श्रीकृष्ण को 'हारिल की लकड़ी' के समान क्यों बताती है?
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- प्रश्न- गोपियों ने कृष्ण की तुलना बहेलिये से क्यों की है?
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- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (सूरदास)
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- प्रश्न- 'कविता कर के तुलसी ने लसे, कविता लसीपा तुलसी की कला। इस कथन को ध्यान में रखते हुए, तुलसीदास की काव्य कला का विवेचन कीजिए।
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- प्रश्न- तुलसी के लोक नायकत्व पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- मानस में तुलसी द्वारा चित्रित मानव मूल्यों का परीक्षण कीजिए।
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- प्रश्न- अयोध्याकाण्ड' के आधार पर भरत के शील-सौन्दर्य का निरूपण कीजिए।
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- प्रश्न- 'रामचरितमानस' एक धार्मिक ग्रन्थ है, क्यों? तर्क सम्मत उत्तर दीजिए।
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- प्रश्न- रामचरितमानस इतना क्यों प्रसिद्ध है? कारणों सहित संक्षिप्त उल्लेख कीजिए।
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- प्रश्न- मानस की चित्रकूट सभा को आध्यात्मिक घटना क्यों कहा गया है? समझाइए।
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- प्रश्न- तुलसी ने रामायण का नाम 'रामचरितमानस' क्यों रखा?
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- प्रश्न- 'तुलसी की भक्ति भावना में निर्गुण और सगुण का सामंजस्य निदर्शित हुआ है। इस उक्ति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'तुलसी की भक्ति भावना में निर्गुण और सगुण का सामंजस्य निदर्शित हुआ है। इस उक्ति की समीक्षा कीजिए।
- प्रश्न- 'मंगल करनि कलिमल हरनि, तुलसी कथा रघुनाथ की' उक्ति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- 'मंगल करनि कलिमल हरनि, तुलसी कथा रघुनाथ की' उक्ति को स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- तुलसी की लोकप्रियता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसी की लोकप्रियता के कारणों पर प्रकाश डालिए।
- प्रश्न- तुलसीदास के गीतिकाव्य की कतिपय विशेषताओं का उल्लेख संक्षेप में कीजिए।
- प्रश्न- तुलसीदास के गीतिकाव्य की कतिपय विशेषताओं का उल्लेख संक्षेप में कीजिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की प्रमाणिक रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- तुलसीदास की प्रमाणिक रचनाओं का उल्लेख कीजिए।
- प्रश्न- तुलसी की काव्य भाषा पर संक्षेप में विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- तुलसी की काव्य भाषा पर संक्षेप में विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- 'रामचरितमानस में अयोध्याकाण्ड का महत्व स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- तुलसी की भक्ति का स्वरूप क्या था? अपना मत लिखिए।
- प्रश्न- तुलसी की भक्ति का स्वरूप क्या था? अपना मत लिखिए।
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (तुलसीदास)
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- प्रश्न- बिहारी की भक्ति भावना की संक्षेप में विवेचना कीजिए।
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- प्रश्न- बिहारी के जीवन व साहित्य का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- "बिहारी ने गागर में सागर भर दिया है।' इस कथन की सत्यता सिद्ध कीजिए।
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- प्रश्न- बिहारी की बहुज्ञता पर विचार कीजिए।
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- प्रश्न- बिहारी बहुज्ञ थे। स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- बिहारी के दोहों को नाविक का तीर कहा गया है, क्यों?
- प्रश्न- बिहारी के दोहों को नाविक का तीर कहा गया है, क्यों?
- प्रश्न- बिहारी के दोहों में मार्मिक प्रसंगों का चयन एवं दृश्यांकन की स्पष्टता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के दोहों में मार्मिक प्रसंगों का चयन एवं दृश्यांकन की स्पष्टता स्पष्ट कीजिए।
- प्रश्न- बिहारी के विषय-वैविध्य को स्पष्ट कीजिए।
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- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (बिहारी)
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (बिहारी)
- प्रश्न- कविवर घनानन्द के जीवन परिचय का उल्लेख करते हुए उनके कृतित्व पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- घनानन्द की प्रेम व्यंजना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द की प्रेम व्यंजना पर अपने विचार व्यक्त कीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य वैशिष्ट्य पर प्रकाश डालिए।
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- प्रश्न- घनानन्द का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
- प्रश्न- घनानन्द की काव्य रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- घनानन्द की काव्य रचनाओं पर प्रकाश डालते हुए उनके काव्य की विशेषताएँ लिखिए।
- प्रश्न- घनानन्द की भाषा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- घनानन्द की भाषा शैली के विषय में आप क्या जानते हैं?
- प्रश्न- घनानन्द के काव्य का परिचय दीजिए।
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- प्रश्न- घनानन्द के अनुसार प्रेम में जड़ और चेतन का ज्ञान किस प्रकार नहीं रहता है?
- प्रश्न- घनानन्द के अनुसार प्रेम में जड़ और चेतन का ज्ञान किस प्रकार नहीं रहता है?
- प्रश्न- निम्नलिखित में से किन्हीं तीन पद्याशों की शब्दार्थ एवं सप्रसंग व्याख्या कीजिए। (घनानन्द)
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